अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की पांचवीं सभा 17 से 20 अक्टूबर 2022 तक नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी

07 Oct, 2022
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नई दिल्ली : केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने आज 17-20 अक्टूबर, 2022 तक नई दिल्ली में आयोजित होने वाली अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की पांचवी सभा और साथ होने वाले अन्य कार्यक्रमों पर से पर्दा उठाया।  भारत के पास आईएसए सभा के अध्यक्ष का पद है। 109 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों के मंत्री, मिशन और प्रतिनिधि इस बैठक में भाग लेंगे। सभा की अध्यक्षता केंद्रीय विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह करेंगे।

आर के सिंह ने आज अपने संबोधन में कहा कि भारत में ऊर्जा पारगमन की गति दुनिया में सबसे तेज है। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन हमारे ग्रह के ऊर्जा पारगमन के लक्ष्य के लिए नितांत आवश्यक है। माननीय मंत्री ने कहा कि सोलर पावर ऊर्जा का सबसे सस्ता स्रोत है, इसलिए सौर ऊर्जा और मिनी ग्रिड से दुनिया में सभी तक ऊर्जा पहुंचाई जा सकती है।

आईएसए ऊर्जा पारगमन पर अंतरराष्ट्रीय वादों को पूरा करने का आवश्यक माध्यम है: मंत्री

सभा आईएसए का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है, जिसमें प्रत्येक सदस्य देश का प्रतिनिधित्व होता है। यह निकाय आईएसए के द्वारा तय समझौते के कार्यान्वयन से संबंधित निर्णय लेता है और अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए समन्वित कार्रवाई करता है। आईएसए की बैठक में मंत्रिस्तरीय स्तर पर सालाना सभा आयोजित होती है। यह सौर ऊर्जा के इस्तेमाल, प्रदर्शन, विश्वसनीयता, लागत और वित्त के पैमाने के संदर्भ में कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों के समग्र प्रभाव का आकलन करती है।

आईएसए की पांचवीं सभा ऊर्जा तक पहुंच, ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा पारगमन के तीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर आईएसए की प्रमुख पहलों पर विचार करेगी। आईएसए सदस्य देशों के विश्व नेता एलडीसी और एसआईडीएस सदस्य देशों के लिए तय कार्यक्रम के अनुसार समर्थन , सभी विकासशील सदस्य देशों को क्षमता निर्माण में मदद, और सभी सदस्य देशों को एनालिटिक्स और एडवोकेसी समर्थन पर आईएसए की रणनीतिक योजना पर भी चर्चा करेंगे।

5वीं सभा में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए देशों के बीच आम सहमति बनने की उम्मीद है। जलवायु को लेकर कार्रवाइयों के इस महत्वपूर्ण दशक में पहले से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ऊर्जा पारगमन, निवेश को बढ़ावा देने और लाखों नए हरित रोजगार पैदा करने का आधार होगा।

आईएसए सचिवालय ने 19 अक्टूबर, 2022 को साझेदार संगठनों के सहयोग से आईएसए की विभिन्न रणनीतिक पहलों पर तकनीकी सत्रों की एक श्रृंखला और सौर और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में  सामने आ रहे विभिन्न मुद्दों पर तकनीकी सत्रों की योजना बनाई है। 5वीं महासभा के बाद, तीन विश्लेषणात्मक रिपोर्ट भी लॉन्च की जाएंगी, जिनके नाम हैं:

वर्ल्ड सोलर टेक्नोलॉजी रिपोर्ट

वर्ल्ड सोलर मार्केट रिपोर्ट

वर्ल्ड सोलर इनवेस्टमेंट रिपोर्ट

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के बारे में:

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन 109 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। यह दुनिया भर में ऊर्जा की पहुंच और सुरक्षा में सुधार के लिए सरकारों के साथ काम करता है और पर्यावरण अनुकूल भविष्य में पहुंचने के एक स्थायी तरीके के रूप में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देता है। आईएसए के मिशन 2030 में सौर ऊर्जा में 1 लाख करोड़ डॉलर का निवेश करना है, जबकि प्रौद्योगिकी और इसके वित्तपोषण की लागत कम करना है। यह कृषि, स्वास्थ्य, परिवहन और बिजली उत्पादन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है। आईएसए के सदस्य देश नीतियों और नियमों को लागू करके, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करके, साझा मानकों पर सहमत होकर और निवेश जुटाकर बदलाव ला रहे हैं। इस कार्य के माध्यम से, आईएसए ने सौर परियोजनाओं के लिए नए व्यापार मॉडल की पहचान, डिजाइन और परीक्षण किया है; कारोबार में सुगमता लाने वाली सोलर एनालिटिक्स और सलाह के माध्यम से सरकारों को अपने ऊर्जा कानून और नीतियों को सौर-अनुकूल बनाने के लिए समर्थन दिया है; विभिन्न देशों से सौर प्रौद्योगिकी की मांग को एक साथ लाया है, जिससे लागत में कमी हुई है; जोखिमों को कम करके वित्त तक आसान पहुंच बनाकर क्षेत्र को निजी निवेश के लिए और आकर्षक बनाया है और सौर इंजीनियरों और ऊर्जा नीति निर्माताओं के लिए सौर प्रशिक्षण, आंकड़े और समझ तक पहुंच में बढ़ोतरी की है।

15 देशों द्वारा आईएसए फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर और सत्यापन के साथ, 6 दिसंबर, 2017 को, आईएसए भारत में मुख्यालय वाला पहला अंतरराष्ट्रीय अंतर सरकारी संगठन बन गया। आईएसए बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी), विकास वित्तीय संस्थानों (डीएफआई), निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों, नागरिक समाज और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ साझेदारी कर रहा है ताकि सौर ऊर्जा के माध्यम से खासतौर पर कम विकसित देशों में ( एलडीसी) और लघु द्वीप विकासशील क्षेत्रों (एसआईडीएस) में लागत प्रभावी और बदलाव लाने वाले हल स्थापित किया जा सके।

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