कौन-सी ऐसी घटनाएँ है जिसके कारण योगी आदित्यनाथ का भारतीय राजनीति में आगमन हुआ, कैसा रहा ‘बुलडोज़र बाबा’ का लोकसभा सांसद से यूपी के मुख्यमंत्री बनने तक का सफ़र

11 Mar, 2022
Sachin
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लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक कभी नहीं हारने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कहानी

नई दिल्ली: योगी आदित्यनाथ का नाम अजय सिंह बिष्ट है लेकिन उनको ख्याति योगी आदित्यनाथ के नाम से मिली. अजय सिंह बिष्ट (योगी आदित्यनाथ)  का जन्म योगी जी का जन्म 05 जून 1972 को उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल जिले में स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूर गांव के एक गढ़वाली क्षत्रिय परिवार में हुआ था उनकी प्राथमिक शिक्षा पौड़ी उत्तराखंड के प्राथमिक विद्यालय में हुई थी. इनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट है और इनकी माता का नाम  सावित्री देवी जो एक कुशल गृहिणी है. इनके परिवार में तीन भाई  और तीन बहनें हैं। जिसमें योगी आदित्यनाथ पांचवें नंबर पर है।

योगी आदित्यनाथ की स्कूल पढ़ने के दौरान की फोटो

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योगी आदित्यनाथ ने अपनी उच्च शिक्षा हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय से गणित और विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद योगी ने गणित में एमएससी की शिक्षा प्राप्त करने के लिए दाखिला लिया पर बाबरी मस्जिद का विध्वंसक होने के बाद, राम मंदिर के लिए हो रहे आंदोलन के कारण इनका ध्यान राम पढ़ाई में ना रहकर राम मंदिर के आन्दोलन में आ टिका जिसके कारण इनका मन विचलित हो गया और ये इस आन्दोलन का हिस्सा बन गए.

योगी आदित्यनाथ की कॉलेज के दिनों की फोटो

योगी आदित्यनाथ का राजनैतिक जीवन कॉलेज के दिनों में ही शुरू हो गया था और कॉलेज में इनकी गिनती अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उभरते हुए नेताओं में की जाने लगी थी इसलिए इन्होनें छात्र संघ के चुनाव  में लड़ने की योजना बनाई लेकिन इनको अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने टिकट नहीं दिया जिसके चलते योगी ने निर्दलीय सदस्य के रूप में वर्ष 1992 में नामांकन भरा और यह चुनाव हार गए.

अजय सिंह बिष्ट उर्फ़ योगी आदित्यनाथ

राम मंदिर के आन्दोलन के बाद इनका ध्यान अपनी पढाई से हट गया था और यह गोखापुर आये और यहाँ इनका संपर्क गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ के साथ हुआ जहाँ सन् 15 फरवरी 1994 को मंहत अवैद्यनाथ ने योगी को नाथ संप्रदाय की गुरु दीक्षा दी और उन्हें अपना शिष्य बना लिया और फिर मंहत ने योगी आदित्यनाथ को दीक्षा देकर अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ बना दिया. यही से योगी आदित्यनाथ के जीवन नया मोड़ लिया और इसके बाद योगी सन्यासी जीवन जीने लगे और उसके बाद घर त्यागने, और परिवार त्यागने जैसा फैसला लियाउसके बाद देशसेवा और समाज सेवा करने का संकल्प लिया. महंत अवैद्यनाथ गोरखपुर सीट से चार बार सांसद रहे हैं महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आये योगी आदित्यनाथ को 4 वर्ष बाद ही गोरखनाथ मंदिर के महंत की गद्दी पर वर्ष 1998 में राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में घोषित कर दिया।

अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ बनते हुए

गोरखनाथ मंदिर में लोगों की बहुत आस्था है. मकर संक्राति पर हर धर्म और वर्ग के लोग बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने आते हैं. महंत दिग्विजयनाथ ने इस मंदिर को 52 एकड़ तक फैलाया था. उन्हीं के समय में गोरखनाथ मंदिर हिंदू राजनीति के महत्वपूर्ण केंद्र बना और महंत अवैद्यनाथ ने इस विरासत को और आगे बढ़ाया. महंत अवैद्यनाथ की गद्दी पर अब योगी आदित्यनाथ को बैठा दिया गया था अब उनको इस विरासत को आगे बढ़ाना था वह सिर्फ महंत नहीं बने थे बल्कि अब उनको वहां की  राजनीतिक का उत्तरदायित्त्व भी बनाया गया था.

योगी आदित्यनाथ और उनके गुरु महंत अवधनाथ

योगी आदित्यनाथ ने पहली बार वर्ष 1998 में भारत के बारहवें लोकसभा चुनाव में 26 हज़ार के अंतर से जीत दर्ज कर सबसे कम उम्र में सांसद के रूप में शपथ ली थी। तब उनकी उम्र महज 26 वर्ष थी. फिर दुबारा वर्ष  1999 में चुँव हुए जिसमें जीत-हार का यह अंतर 7,322 तक सिमट गया. मंडल राजनीति के उभार ने उनके सामने गंभीर चुनौती पेश की.

चुनाव प्रचार करते योगी आदित्यनाथ

राजनितिक गतिविधियों के बीच योगी ने हिंदू युवा वाहिनी संगठन की स्थापना की , जिसे वह ‘सांस्कृतिक संगठन’ कहते हैं और जो ‘ग्राम रक्षा दल के रूप में हिंदू विरोधी, राष्ट्र विरोधी और माओवादी विरोधी गतिविधियों’ को नियंत्रित करता है. अगर ऐसी कोई गतिविध करता पता है तो उसके खिलाफ विरोध कर और उनको अपने तरीके से सजा देते हैं.

इसके बाद योगी राजनितिक गतिविधियाँ नहीं रुकी वह गोरखपुर की सीट से लगातार जीत दर्ज करते रहे उन्होंने वर्ष 1998 में पहली बार लोकसभा से चुनाव जीता उसके बाद 1999 में फिर वह साल 2004, 2009, 2014 में भी चुनाव जीते.

राजनितिक रैली को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ

एक बार फिर योगी के जीवन में अलग राजनितिक मोड़ आने जा रहा था वो साल था 2017 जब भाजपा के गठबंधन को यूपी विधानसभा में 325 सीटों के साथ भारी बहुमत मिला था जिसके बाद इस बात की हलचल और तेज हो गई की मुख्यमंत्री किसको बनाया जाए. चुनाव होने के बाद आरएसएस और महंत की बहुत बड़ी संगोष्टी होती है जिसमे ये फैसला लिया जाता है कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया जाए.

अब बात वर्ष 2022 की जब योगी के चेहरे पर विधानसभा का चुनाव लड़ा गया और वह खुद भी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं . इस विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्त्व बीजेपी गठबंधन ने इतिहास बनाते हुए 272 सीट पाकर फुल बहुमत की सरकार बनाने के लिए तैयार है.

2022 विधानसभा चुनाव जीतने के बाद राज्य को संबोधित जरते यूपी के मुख्यमंत्री
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