दरअसल, कोविड से ठीक होने के बाद मरीजों में ‘एवैस्कुलर नेक्रोसिस’ यानी ‘बोन डेथ’ के मामले देखने को मिल रहे हैं. जिसमें इंसान की हड्डियां कमजोर होने और फिर सड़ने-गलने लगती हैं.अब कोविड से ठीक हुए कई मरीजों में ऐसी दिक्कतें पैदा कर रहा है.एवैस्कुलर नेक्रोसिस यानी बोन डेथ एक ऐसी बीमारी है जिसमें हड्डियों तक पहुंचने वाले खून की सप्लाई स्थायी या अस्थायी रूप से बंद हो जाती है,और हड्डियां कमज़ोर पड़ना और गलना शुरू कर देती हैं.हिंदुजा अस्पताल के हड्डी रोग के प्रमुख डॉ. संजय ग्रवाल ने बताया, ‘अब मेरे पास 19 मरीज़ हैं,Wockhardt Hospital के डॉक्टर गिरिश एल भालेराव ने बताया, ‘कोविड में इस बीमारी का प्रमाण बढ़ गया है,पहली लहर में हर महीने में 2-3 मरीज एवैस्कुलर नेक्रोसिस के दिखने लगे और अब दूसरी लहर में वीक्ली बेसिस पर क़रीब दो मरीज देख रहे हैं.’बीएमसी के बड़े अस्पतालों में शामिल सायन हॉस्पिटल से जुड़े ऑर्थपीडिक सर्जन डॉ अभिजीत काले बताते हैं कि कोविड से ठीक होने के करीब डेढ़ महीने बाद उनके पास एवैस्कुलर नेक्रोसिस के साथ पहुंचा इस मरीज को कोविड के इलाज के दौरान करीब चार दिन तक स्टेरोईड दी गयी थी.इलाज के बाद छुट्टी होते ही करीब डेढ़ महीने के बाद उनको हिप ज्वाइंट में पेन शुरू हुआ,समय पर एक्सरे-MRI पर पता चला की दोनों हिप ज्वाइंट में जो खून का दौरा यानी ब्लड सप्लाई है वो बंद नजर आया. इसको कहते है एवैस्कुलर नेक्रोसिस ऑफ हिफ ज्वाइंट. एक्स्पर्ट्स कहते हैं ये बीमारी जानलेवा नहीं मगर इलाज में देरी विकलांगता का कारण बन सकती है इसलिए एक्स्पर्ट्स की सलाह है, कोविड से जंग में अगर आपने स्टेरॉयड ली है और अगर जोड़ों में किसी तरह के दर्द का सामना कर रहे हैं तो हड्डी के डॉक्टर से ज़रूर सम्पर्क करें.