इस चुनाव में मैक्रों की जीत के बाद उन्होंने पिछले 20 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ते हुए वह पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति बन गए हैं जिन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रपति का चुनाव जीता है. अब चुनाव जीतने के बाद मेंक्रों के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ हैं.
नई दिल्ली: फ्रांस के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए रविवार को मतदान हुआ था, जहां मौजूदा प्रेसिडेंट इमैनुएल मैक्रों और धुर दक्षिणपंथी नेता ली पेन के बीच चुनाव प्रचार और वोटों की गिनती के दौरान सीधी टक्कर बताई जा रही थी. हालांकि इमैनुएल मैक्रों ने 57.6% और 58.2% वोटों के साथ फिर से फ्रांस के राष्ट्रपति का चुनाव जीत लिया है और इसके साथ उन्होंने मरीन ले पेन को हरा दिया है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 20 अप्रैल को प्रेसिडेंट मैक्रों और ली पेन के बीच लाइव डिबेट हुई थी, जिसमें राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मैक्रों आगे दिखाई दिए थे. लेकिन दूसरी ओर विश्लेषकों का कहना ये भी था कि अगर मतदान कम रहता है तो जीत का पासा पलट सकता है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं मेंक्रों दूसरी बार राष्ट्रपति का चुनाव जीत गए, अगर 53 साल की ली पेन जीतती तो वो फ्रांस की पहली महिला राष्ट्रपति बनतीं.

इस चुनाव में मैक्रों की जीत के बाद उन्होंने पिछले 20 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ते हुए वह पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति बन गए हैं जिन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रपति का चुनाव जीता है. अब चुनाव जीतने के बाद मेंक्रों के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ हैं. यूरोप की दिशा तय करने में और यूक्रेन में युद्ध रोकने के पश्चिमी देशों के प्रयासों पर दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकते हैं. आपको बताते चलें कि रविवार को, मध्य दिन तक 26.1 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था जोकि राष्ट्रपति चुनाव के लिए 10 अप्रैल को पहले चरण के मतदान के दौरान इस अवधि से थोड़ा अधिक रहा है.
जनमत सर्वेक्षण में किसकी जीत?
जनमत सर्वेक्षणों में फ्रांस के नागरिकों ने मेंक्रों की राष्ट्रपति के तौर पर प्रशंसा की थी. उन्हें कोविड-19 महामारी और यूक्रेन-रूस युद्ध जैसे प्रमुख वैश्विक संकटों का सामना करने के लिए योग्य माना था. मैक्रों ने फ्रांस के संभ्रांत स्कूल इकोले नेशनल डी एडमिनिस्ट्रेशन में पढ़ाई की है. वह पहले सीनियर सिविल सर्वेंट थे. फिर कुछ वर्षों के लिए रोथ्सचाइल्ड में एक बैंकर के रूप में कार्य किया. उसके बाद वह समाजवादी राष्ट्रपति फ्रांसिस ओलांद के आर्थिक सलाहकार बनें. वह 2014 से 2016 तक ओलांद की सरकार में अर्थव्यवस्था मंत्री नियुक्त किए जाने के बाद वह पर्दे के पीछे से काम करने वाली भूमिका से निकलकर राजनीतिक परिदृश्य पर सामने आये.
महंगाई-बेरोजगारी रहा बड़ा मुद्दा
मेंक्रों की प्रतिद्वंदी ली पेन अपने पिता के मुक्त बाजार, ज्यादा सरकारी खर्च की बजाय संरक्षणवादी रुख रखती हैं, वो मुक्त व्यापार और यूरोपीय संघ की नीतियों की विरोधी हैं. उन्होंने फ्रांस से खरीदो पॉलिसी के साथ, रिटायरमेंट की उम्र 60 साल करने और 30 साल से कम उम्र के युवाओं पर इनकम टैक्स माफ और तेल-गैस पर वैट को 20 से 5.5 फीसदी लाने जैसे बड़े वादे किए हैं. मध्य औऱ निम्न आय वाले परिवारों पर कोई टैक्स नहीं होगा. 1 लाख यूरो के डोनेशन पर टैक्स नहीं होगा वहीं दूसरी ओर मैक्रों पेंशन की उम्र को 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने जैसे वादों से लुभाया था. लेकिन तेल-गैस की बढ़ती महंगाई से वो मुश्किलों में हैं.